Friday, February 22, 2019

हरियाणा में दर्शन एवम् लोकधर्म का विकास (Development of Philosophy & Folk Religion in Haryana)

  
  
 भारतवर्ष को दर्शन और धर्म की दृष्टि से विश्वपटल पर बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. भारतीय समाज में धार्मिक विविधता के साथ-साथ हमें लोकधर्म की क्षेत्रीय स्तर पर हमें बहुत सी धाराएँ देखने को मिलती है. हरियाणा प्रदेश की भूमि को वेद, उपनिषद, महाभारत, पुराण, गीता आदि की रचना-स्थली भी माना गया है. इसे महाराजा हर्ष, सूरदास और बाणभट्ट जैसे महान व्यक्तित्वों की भूमि के साथ-साथ लोकभाषा का साहित्य का सृजनस्थल भी रहा है. लेकिन वर्तमान में हम वैश्वीकरण, सांस्कृतिकरण, और ब्राह्मणीकरण के चलते हम उन वैचारिक, सामाजिक और राजनैतिक प्रभाव डालने वाली संस्थाओं के महत्व को भूलाकर देश के सांस्कृतिक और दार्शनिक मूल्यों से दूर होते जा रहे हैं. प्रस्तुत लेख में हरियाणा राज्य में दर्शन और लोकधर्म के विषय पर प्रकाश डालना मुख्य उद्देश्य है.

Note:
Presented  “Development of Philosophy & Folk Religion in Haryana” in XX Conference of North-west Indian Sociological Association on Contemporary Issues in North West India: Challenges and Strategies organized by  Department of Sociology, Panjab University, Chandigarh held on 21-22 February, 2019.